स्पष्ट तौर पर कहें तो यह देंग और दूसरे सेवानिवृत नेता ही थे न कि पोलित ब्यूरो की स्थाई समिति, जिनके बारे में कहा जाता है कि 1989 में प्रर्दशनों के समय उन्होंने ही थिआनमेन चौक को ख़ाली करवाने के लिए सेना भेजने और मॉर्शल लॉ लागू करने का निर्णय लिया था.